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Thursday, March 19, 2009

टूटे ख्वाब

आज मेरे कुछ ख्वाब टूट गए
क्यूँ मैं जीता था इस उम्मीद में
कि मेरे ख्वाब में परियां होंगी
जबकि मेरे उम्मीद की कोई सतह ही नहीं

ख्वाब की परियों के पर नहीं होते
बिना किसी अपेक्षा के प्यार नहीं होता
होता नहीं बिना जीवनचक्र का कोई रिश्ता
सहारा कोई भी जीवन भर का नहीं होता

अब जी नहीं करता मेरा सोने को
वो ख्वाब बार बार वापस आते है
और सिर्फ नींद में ही नहीं
वो अब जागते हुए भी सताते हैं

अब मैं किसी ख्वाब में जीना नहीं चाहता
मरना भी नहीं मुझे किसी ख्वाब में
ना ही इंतजार करता हूँ उस पल का मैं
क्यूंकि हर पल उस इंतजार का बहुत ही दुखदाई है

Friday, March 6, 2009

मेरे ख़्वाब

आज मैंने तुम्हारे ख़्वाब देखें
ख़्वाब में तुम्हे बार बार देखें
क्या बात है मैं समझ नहीं पाया
लेकिन हर बात में सिर्फ़ तुम्हे ही पाया

क्यूँ अब मुझे यह अजीब नहीं लगता
कि हमारे बीच कुछ भी तो नहीं
वह सबके समझ के परे ही सही
लेकिन फ़िर भी है वह सबसे बढ़कर

मैं उम्मीद भी नहीं करता किसी से
कि समझे वो मेरी बातों को
समझे हमारे रिश्ते को
या फ़िर मेरे इरादे को

तुम मेरी ख़्वाब में ऐसे ही आना हर बार
मुझे रहेगा तुम्हारा हर रात इंतज़ार
उस इंतज़ार के पल को भी जीना चाहता हूँ
कि अब मैं उस ख़्वाब के लिए ख़्वाब में ही मरना चाहता हूँ

Tuesday, February 3, 2009

एक ख्याल

आज अचानक मेरे मन में ख्याल आया कि पता नहीं मैं जो लिखता हूँ किसी को पसंद भी आता होगा या नहीं। फ़िर सोचा, यह जरुरी तो नहीं की मेरा हर लेख उत्तम कोटि का हो। यह भी जरुरी नहीं कि मेरे सारे लेख सभी लोगों को अच्छा लगे। अगर मेरा एक post भी किसी एक इंसान को पसंद आया हो तो मैं अपना लिखना सफल मानूंगा और जी भरकर लिखता रहूँगा। मुझे यकीन है की गुलज़ार के dustbin में भी कितनी कहानियाँ दम तोड़ देती होगी।