Tuesday, February 3, 2009

एक ख्याल

आज अचानक मेरे मन में ख्याल आया कि पता नहीं मैं जो लिखता हूँ किसी को पसंद भी आता होगा या नहीं। फ़िर सोचा, यह जरुरी तो नहीं की मेरा हर लेख उत्तम कोटि का हो। यह भी जरुरी नहीं कि मेरे सारे लेख सभी लोगों को अच्छा लगे। अगर मेरा एक post भी किसी एक इंसान को पसंद आया हो तो मैं अपना लिखना सफल मानूंगा और जी भरकर लिखता रहूँगा। मुझे यकीन है की गुलज़ार के dustbin में भी कितनी कहानियाँ दम तोड़ देती होगी।

4 comments:

  1. बात तो आपने सही कही... हर ब्लॉगर के मन् में कभी न कभी तो ये ख़याल आया ही होगा. कभी न कभी क्या ... हर पोस्ट को ब्लॉग पे डालने से पहले आता है . पर तभी तो ब्लॉग की दुनिया एक अनुपम दुनिया है...जहाँ विचारों के वेग पर कोई रोक नही.हमे आपके हर लेख का इंतज़ार रहता है. लिखते रहिये. अच्हा लिखते हैं.

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  2. Apni tulna Gulzar Saab se karte ho......this is blasphemy.

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  3. you are getting worse with every post!

    I liked your "Had a crush on those chicks, but they did not care a crap about me" rants better :-/

    Jokes apart yaar, blogs are for expressing your feelings about the world, describing experiences the way you see it. People should be privileged to read it, because you invite them. That is the reason why there are private blogs! It is not a article in a magazine that needs to maintain its TRP rating among its readers.

    Write your heart out dude !!!

    - Narayanan

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  4. I feel you should write because you want to write and not because somebody should appreciate it.

    shinu...

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