Friday, October 30, 2009

सोफिया

रंग दिखाए तुमने मुझे ज़िन्दगी के ऐसे
काली रात भी अब रंगीन हो गयी है
सपने दिखाए तुमने मुझे सुनहरे
की मेरी ऑंखें भी मदहीन हो गयी है
क्या सच है और क्या झूठ यह मालूम नहीं
लेकिन हर बात तुम्हारी अच्छी लगने लगी है
हंसी तुम्हारी अनमोल है इतनी
की हर चीज़ अब हसीन हो गयी है
दिल कहता है मत सोचो इतनी गहराई में
जी लो हर पल को जो मिला है तुम्हे
आज की ज़िन्दगी ही सच्चाई है
ये वक़्त जो मिला है सिर्फ तुम्हारा है
इन्तज़ार है मुझे तुम्हारे आने का
हर पल तुम्हारे साथ बिताने का
तुम ख्वाब नहीं अब हकीक़त बन गयी हो
हर लम्हे में जीने की जरूरत बन गयी हो