Wednesday, January 7, 2009

उर्वशी, मेरा पहला प्यार

उर्वशी, मेरा पहला प्यार! माफ़ कीजिये, हमारा पहला प्यार। चौकियेगा नहीं यह मेरा और मेरे परम मित्र का सच्चा combined प्यार है। बात 1995 की है जब मैं 11वी कक्षा में पढ़ रहा था। पढ़ना क्या था बस admission हीं लिया था। मेरा मित्र मुझसे उम्र में बस 1 महिना बड़ा था लेकिन वो बहुत ज्ञानी था। यहां तक की हमारे class के सारे backbenchers भी उसकी ज्ञान का लोहा मानते थे। Teenagers की सारे प्रश्नो और समास्याओं का समाधान था उसके पास। मैं हालाँकि बहुत हीं शरीफ़ लोगों में जाना जाता था लेकिन इस उम्र में किसे प्यार नहीं होता। नहीं हुआ तो आपकी मर्दांगी पर लोग शक करते हैं। चलिये हम अपने परम मित्र की बड़ाई बाद में करेंगे। अभी वापस उर्वशी पर concentrate करते हैं।

हमांरें स्कूल के बिल्कुल सामने एक girls स्कूल था। घर वापस जाने के लिए मैं और मेरा मित्र रोज़ स्कूल के सामने से टेम्पू पकड़ते थे। एक दिन जब हम टेम्पू का wait कर रहे थे तभी एक लड़की हमारी बगल में खड़ी हो गई। उम्र 13-14 साल की रही होगी। वैसे ये हमेशा हमांरें बीच विवाद का विषय बना रहा की उस लड़की को पहले किसने देखा। क्यूंकि by law जिसने लड़की पहली देखी वो उसकी होती है। बाकी सब उसे केवल भाभी की नज़र से देख सकते है। आज मैं झूठ नहीं बोलूँगा की वो लड़की असल में मेरे दोस्त की हीं खोज थी। लेकिन उस समय मैं भी अड़ गया की मैंने भी साथ में हीं देखा। खैर फ़िर हमने decide किया की हम दोनों try करेंगे और बाकी लड़की की पसंद।

उपरवाले का खेल भी बड़ा निराला होता है। मेरी किस्मत ऐसी चमकी की वो लड़की भी टेम्पू से वहीं उतरी जहाँ मुझे उतरना था। मेरी तो चाँदी हो गई। एक पल के लिए लगा की पांचो ऊँगली घी में और सिर कड़ाही में। अब हम दोनों में से उस लड़की का नाम तो किसी को पता नहीं था। और पूछने की हिम्मत तो शायद मुझे इस जनम में कभी नहीं होगी। लड़की से नाम पूछा और उसने अपने बड़े भाई को बोलकर पीटवा दिया फ़िर हमारी इज्ज़त का क्या होगा। या फ़िर पुलिस में complain कर दे फ़िर हमारी तो सारे जग में थू थू हो जायेगी। तो इन सब झमेलों से बचने के लिए हमने उसका नामकरण ख़ुद हीं कर दिया। उन दिनों एक picture आई थी हमसे है मुकाबला। उसका एक गाना हम दोनों को बहुत पसंद था, "Urvashi, Urvashi take it easy Urvashi". उस गाने से inspire होकर हमने उसका नाम उर्वशी रख दिया। फ़िर तो मैं रोज़ अच्छे से नहा धोकर साफ़ सुथरे कपड़े पहन कर जाने लगा। क्या पता किसी दिन किस्मत चमक जाए और टेम्पू में बगल की सीट पर उर्वशी हो। कितने दिन तो मैंने अपने दोस्त को चिढाने के लिए story बना दी की आज मैं उर्वशी के बगल में बैठ कर आया और उससे बहुत सारी बात हुई।

धीरे धीरे हमने पता कर लिया की उर्वशी का घर कौन सा है। उसके घर के सामने हीं एक साइकिल पंक्चर की दुकान थी। फ़िर हर शाम मैं अपनी साइकिल लेकर निकल जाता हवा भरवाने। नज़र साइकिल पर कम और सड़क के उस पार उर्वशी के बरामदे में ज्यादा होता था। माँ दुर्गा से लेकर हनुमान जी को याद करता की एक बार दिख जाए। कभी साइकिल पंक्चर हुई फ़िर तो 1 घंटा दुकान पर बैठ कर उर्वशी का इंतज़ार करता। कभी कभी कोई उसके बरामदे में दिखता तो आँखों की पुतलियाँ बढ़ जाती। यह सिलसिला चलता रहा। मेरी साइकिल का पंक्चर भी बढ़ता रहा। उर्वशी ने शायद 10 वी की परीक्षा पास कर ली और उसका स्कूल जाना बंद हो गया। अगले 6 महीने तक उर्वशी अपने बरामदे में भी नहीं आई। फ़िर अचानक एक दिन बजाज स्कूटर पर पिछली सीट पर उर्वशी नज़र आई। वो साड़ी में थी और थोड़ी सहमी हुई भी थी। थोड़ी नज़दीक आई तो देखा उसके माथे पर सिन्दूर था। स्कूटर चलाने वाला उसका पति होगा। उर्वशी ने एक नज़र मुझे देखा और थोड़ी सी घूँघट निकाल ली। उस घूँघट के साथ मेरी यह प्रेम कहानी भी समाप्त हो गई। मेरे दोस्त को दुःख भी हुआ और खुशी भी। आज भी मुझे अपने सबसे अच्छे दोस्त से धोका देने के लिए गालिया सुनने को मिलती है। ये तो वहीं बात हुई ना माया मिली ना राम।

8 comments:

  1. Bus , train aur ladki.. 1 gayi doosri aati hai – hai na RR? (:-p) To kya! 1 scooter pe chali gai to... agli Skoda mein aayegi (:-)

    Another post and yet very different dimension of your persona revealed. Revealed... may be... not exactly... kahin na kahin hum sabhi to aise hain.(:-). Khub banaya banana vale ne ye ‘blog’ bhi!

    ReplyDelete
  2. Lage Raho Bhai! Lage Raho!

    ReplyDelete
  3. :-) good hai... keep posting all the interesting stuff!

    ReplyDelete
  4. Dont worry RR, first crush nahi mila to kya hua , nth crush to mil hi jayega.:)
    Nice to know about your personal axperience

    ReplyDelete
  5. Tumhari prem kahanahia Dhoom ki Ali k jaisi prem kahania lag rahi hai.

    Koi baat nahi, kabhi na kabhi to Dilruba samandar mein se nikal kar aayegi tumhare liye bhi or tumhari life mein dhoom macha degi

    :)

    ReplyDelete
  6. laghta hai ladak pann ki sari sharaart kar dali aapne...after a long time, I read something in hindi, felt good. Nice flow and humourous.

    ReplyDelete
  7. nice one, the crushes during our young age though seem funny now, do give us a nice feeling when we think about it.

    ReplyDelete
  8. Hey, It was worth meeting you and get introduced to such a person.

    Keep Gooing..Here we follow

    ReplyDelete