पहले का जमाना ही ठीक था
जब ना helicopter ना aeroplane था
परदेश नहीं जाते थे तुम
दूर नहीं कभी होते तुम
कुछ तो मजबूरी रही होगी तुम्हारी
कि तुम चले गए हो सात समुंदर पार
जहाँ न नानी का लाड है
ना हीं मम्मी की खिटखिट का संसार
होता मैं अगर करीब तुम्हारे
पकड़ लेता तुम्हारे हाथ से छुटते हुए cup को
रोक लेता हर बुरी नज़र जो उठती तुम्हारी ओर
और बुला लेता वापस तुम्हे अपने पास
अब मुझे चाहत नहीं कुछ और इस जीवन में
डरता हूँ बीत न जाए ये ज़िन्दगी इन्तेज़ार में
तुम कभी भी मेरी उम्मीद मत छोड़ना
और मैं कभी अपनी कोशिश नहीं छोडूंगा
Thursday, June 28, 2012
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